- अशोक भारती
सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के अलावा 39 अन्य विभागों ने अनुसूचित जातियों के लिए बजट आबंटित किया है। देश के 102 विभागों में से 62 विभागों ने अनुसूचित जातियों के विकास हेतु कोई राशि आबंटित नहीं की है। इससे इन विभागों की अनुसूचित जातियों के विकास कार्यक्रमों प्रति उदासीनता का पता चलता है।
वर्ष 2023-24 के बजट को वित्तमंत्री ने 'अमृतकाल में पहला बजट' बताया है। उन्होंने इस बजट को पिछले बजट में रखी गई नींव पर सतत निर्माणकारी बताते हुए भारत-100 के लिए आगे बढ़ने की उम्मीद जताई है। वित्तमंत्री ने इस बजट में समृद्ध एवं समावेशी भारत की परिकल्पना करते हुए 'विकास के सुफल सभी क्षेत्रों और नागरिकों, विशेषकर युवाओं, महिलाओं, किसानों, अन्य पिछड़े वगो$र्ं, अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों' तक पहुंचने की उम्मीद जताई है।
वित्तमंत्री ने पिछले वर्ष के बजट भाषण की तरह इस बार भी भारत-100 हेतु तीन बातों पर केंद्रित रहने की बात की है। यह तीन बातें हैं: नागरिकों, विशेषकर युवा वर्ग को, अपनी आकांक्षाओं की पूर्ति करने के लिए पर्याप्त अवसर उपलब्ध कराना; दूसरा, विकास और रोजगार सृजन पर विशेष ध्यान देना; और तीसरा, बृहद आर्थिक सुस्थिरता को सुदृढ़ करना। इन तीन बातों पर केंद्रित रहने के लिए उन्होंने 'अमृतकाल के दौरान' चार मौकों को रूपांतकारी बताया है।
यह चार मौके हैं- महिलाओं का आर्थिक सशक्तिकरण, पीएम विश्वकर्मा कौशल सम्मान (पीएम विकास), पर्यटन और हरित विकास। वित्तमंत्री ने वर्ष 2023-24 के बजट में एक-दूसरे को सम्पूर्ण करने वाली सात प्राथमिकताओं पर जोर दिया है। यह सात प्राथमिकताएं हैं: 1. समावेशी विकास; 2. अंतिम व्यक्ति तक पहुंचना; 3. अवसंरचना एवं निवेश; 4. सक्षमता को सामने लाना; 5. हरित विकास; 6. युवा शक्ति एवं 7. वित्तीय क्षेत्र। इन सात प्राथमिकताओं को 'सप्तऋषि' बताते हुए वित्तमंत्री ने इन्हें अमृतकाल का मार्गदर्शक बताया है। अमृतकाल के इस बजट में दलितों को मिले मार्गदर्शन के आकलन की जरूरत है।
वर्ष 2023-24 के लिए वित्तमंत्री ने 4503097 करोड़ रुपए का बजट पेश किया है। यह वर्ष 2022-23 के बजट अनुमानों से 558188 करोड़ (14.14 प्रतिशत), संशोधित अनुमानों से 315865 करोड़ (8प्रतिशत) रुपये अधिक है। अनुसूचित जातियों के विकास के बजट का स्तर वर्ष 202-23 पर कायम रखने के लिए वर्ष 2023-24 के बजट में अनुसूचित जातियों के बजट में 14 प्रतिशत की वृद्धि अपेक्षित थी। वर्ष 2023-24 के बजट अनुमानों में अनुसूचित जातियों के लिए कुल 159126.22 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जोकि वर्ष 2022-23 के मुकाबले 11.80 प्रतिशत अधिक है। पिछले वर्ष के बजट अनुमानों में अनुसूचित जातियों के लिए कुल 142342 करोड़ रुपये आबंटित किए गए थे, जिन्हें संशोधित अनुमानों में बढ़ाकर 152604 करोड़ रुपये कर दिया गया। वर्ष 2023-24 के बजट दस्तावेज और आंकड़े बताते हैं कि अनुसूचित जातियों के आबंटन में वर्ष 2022-23 के मुकाबले करीब 3 प्रतिशत कम राशि आबंटित की गई है।
अनुसूचित जातियों के विकास और सम्बंधित नीतियों, कार्यक्रमों और उनके क्रियान्वयन के लिए केंद्रीय सरकार का सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग जिम्मेदार है। इसलिए, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय और विभाग का बजट अनुसूचित जातियों के विकास के प्रयासों के तौर पर देखा जाना चाहिए। वर्ष 2023-24 के बजट अनुमानों में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय को उसकी मांग संख्या 93 के अंतर्गत कुल 10160.94 करोड़ रुपये आबंटित किए गए हैं। यह देश के कुल बजट का मात्र 0.23 प्रतिशत तथा अनुसूचित जातियों के बजट का मात्र 6.39 प्रतिशत है।
ज्ञातव्य है कि सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के बजट में अनुसूचित जातियों के अलावा अन्य पिछड़े वर्गों, सामाजिक तौर पर अशक्त वर्गों जैसे ट्रांसजेंडेर, भिखारियों एवं नशामुक्ति के अलावा दिव्यांगजनों का बजट भी शामिल है। आर्थिक तौर पर कमजोर वर्गों (ईडब्ल्यूएस) का बजट भी इसी मंत्रालय की देखरेख में आता है। इस तरह मंत्रालय की कुल बजट राशि 10160.40 करोड़ रुपये में अनुसूचित जातियों के अलावा अन्य वंचित वर्गों की राशि भी शामिल है। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के बजट में पिछले साल के बजट के मुकाबले कुल 6.87प्रतिशत वृद्धि की गई है, जो देश के बजट में औसतन 14.14प्रतिशथ की वृद्धि के मुकाबले काफी कम है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग ने वर्ष 203-24 में अनुसूचित जातियों हेतु कुल 26 मदों में 9409.14 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है, जो कि मंत्रालय के कुल बजट का 90 प्रतिशत से अधिक है। बजट में अनुसूचित जातियों से संबंधित अनेकों मदों में आबंटन राशि की वृद्धि की गई है। अनुसूचित जातियों के बजट में पिछले साल के मुकाबले प्रमुख बजट वृद्धियों में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के बजट में 5 करोड़, राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी आयोग में 1 करोड़, अनुसूचित जाति हेतु टॉप-क्लास एजुकेशन में 3, अनुसूचित जाति हेतु ओवरसीज छात्रवृति में 14, टारगेटेड क्षेत्रों में अनुसूचित जाति के हाई स्कूल के बच्चों के आवासीय शिक्षा (श्रेष्ठ) में 15.56, प्रधानमंत्री दक्षता और कुशलता सम्पन्न हितग्राही (पीएम दक्ष) योजना में 8.47, नेशनल एक्शन फॉर मेकेनाइज़्ड सेनीटेशन इकोसिस्टम (नमस्ते) में 97.41, बाबा साहेब डॉ. बी. आर. अम्बेडकर फाउंडेशन में 30, पोस्ट-मेट्रिक छात्रवृति में 699.14, तथा प्रधानमंत्री अनुसूचित जातिअभ्युदय योजना में 100 करोड रुपये की वृद्धि शामिल हैं।
जबकि अनुसूचित जातियों के बजट में पिछले साल के मुकाबले प्रमुख बजट कटौतियों में राष्ट्रीय छात्रवृति में 10, वंचित इकाई और समूहों की आर्थिक सहायता (विश्वास) योजना में 80, अनु.जाति एवं ओबीसी के लिए वेंचर कैपिटल फंड में 18, राष्ट्रीय अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम में 35, राष्ट्रीय सफाई कर्मचारी वित्त विकास निगम में 15, छात्र एवं छात्राओं हेतु छात्रावास 30, अस्वच्छ व सेहत को नुकसान पहुंचाने वाले धंधों में लगे अभिभावकों के बच्चों के लिए प्री-मेट्रिक छात्रवृति में 25, नागरिक अधिकार सुरक्षा कानून 1955 एवं अनु.जाति/जनजाति अत्याचार निवारण कानून 1989 को लागू करने वाली मशीनरी को मज़बूत करने की मद में 100 तथा राज्य अनु.जाति विकास निगम को आजीविका की मद में 24 करोड़ रुपये की कटौती शामिल है। इन वृद्धियों और कटौतियों के अलावा अनुसूचित जाति एवं ओबीसी विद्यार्थियों की निशुल्क कोचिंग, अनुसूचित जाति एवं अन्यों हेतु प्री-मेट्रिक छात्रवृति तथा डॉ.बी.आर.अम्बेडकर इंटरनेशनल सेंटर के बजट को उनके पिछले साल के स्तर पर ही क्रमश: 47, 500 और 25 करोड़ रुपये रखा गया है।
सामाजिक न्याय और अधिकारिता विभाग के अलावा 39 अन्य विभागों ने अनुसूचित जातियों के लिए बजट आबंटित किया है। देश के 102 विभागों में से 62 विभागों ने अनुसूचित जातियों के विकास हेतु कोई राशि आबंटित नहीं की है। इससे इन विभागों की अनुसूचित जातियों के विकास कार्यक्रमों प्रति उदासीनता का पता चलता है। इस उदासीन दृष्टि 'सबका साथ, सबका विकास और सबके विश्वास' और देश में समावेशी समृद्धता का आधार कैसे बनेगा।
(लेखक नेशनल कॉन्फ़ेडरेशन ऑफ दलित एंड आदिवासी आर्गेनाईजेशन्स (नैक्डोर) के अध्यक्ष हैं)